एलडीए की सीजी सिटी योजना में 56 करोड़ का घोटाला, जाँच रिपोर्ट में खुलासा, फंसेगी कई अधिकारियों की गर्दन
एलडीए की सीजी सिटी योजना में 56 करोड़ का घोटाला, जाँच रिपोर्ट में खुलासा, फंसेगी कई अधिकारियों की गर्
लखनऊ: एलडीए की सीजी सिटी योजना में तत्कालीन अफसरों, इंजीनियरों ने करीब 56 करोड़ रुपए घोटाला कर दिया है। प्राधिकरण की महंगी जमीनों को कम कीमत पर अपने चहेतों को बेचने के साथ ही विकास कार्यों में भी जमकर धांधली की गई। उच्च स्तरीय निर्देश के बाद स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग उत्तर प्रदेश ने जांच कराई है। ऑडिट ने वित्त विभाग को जांच रिपोर्ट भेजकर कार्रवाई के लिए कहा है।
एलडीए की सीजी सिटी योजना का विकास वर्ष 2013 से 2017 के बीच किया गया। इसमें जमीन बेचने, विकास कार्यों में तत्कालीन अधिकारियों का फर्जीवाड़ा पकड़ में आया है। शासन के वित्त विभाग ने 21 दिसम्बर 2021 को जांच के आदेश दिए थे। जांच स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग प्रयागराज के निदेशक अजय द्विवेदी को सौंपी गयी थी। उन्हें डेढ़ माह दिया गया था। उन्होंने रिपोर्ट प्रमुख सचिव वित्त, प्रमुख सचिव आवास को दे दी है। जांच रिपोर्ट में 56 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला सामने आया है। इसके अलावा भी कई अनियमितताओं का खुलासा किया गया है।
चहेतों को सस्ते भूखण्ड बांटकर करोड़ों की चोट
● एलडीए के तत्कालीन अधिकारियों ने चहेते बिल्डरों को सारे नियम-कानून किनारे कर निर्धारित दर से कम कीमत पर भूखण्ड दे दिया। वित्तीय वर्ष 2016-2017 में 3.78 एकड़ के भूखण्ड डी-एक की कीमत 35613 रुपए प्रतिवर्गमीटर तय थी। इससे कम में भूखण्ड नहीं बेचा जा सकता था। मगर अधिकारियों ने इसे चहेतों को मात्र 27889 रुपए प्रतिवर्गमीटर में बेच दिया। इससे एलडीए को 11 करोड़ 81 लाख 55 हजार 32 रुपए का नुकसान हुआ।
● 2.24 एकड़ के भूखण्ड डी-चार की कीमत 35613 रुपए प्रतिवर्गमीटर थी। इसे 25113 रुपए प्रति वर्गमीटर की दर पर बेच दिया। इससे एलडीए को 9 करोड़ 51 लाख 82 हजार 185 रुपए का नुकसान हुआ।
● भूखण्ड एफ-8 को 35613 रुपए प्रतिवर्गमीटर की जगह 30575 रुपए में बेच दिया। इससे एलडीए को 4 करोड़ 93 लाख 38 हजार 897 रुपए हानि हुई। आवंटन में ही 26 करोड़ 26 लाख 76 हजार का घपला हुआ।
● एलडीए अधिकारियों ने चक गंजरिया सिटी परियोजना के विकास, निर्माण की लागत 11.20 करोड़ रुपए बढ़ा दी थी। इसमें इंजीनियरों के साथ प्राधिकरण के तमाम अधिकारी भी शामिल रहे हैं। जांच में भी खुलासा हुआ है।
एलडीए के तत्कालीन अफसरों ने योजना के निर्माण, विकास का लेबर सेस खुद भुगतान कर दिया। जबकि इसका भुगतान ठेकेदारों को करना था। प्राधिकरण अधिकारियों ने एलडीए के खाते से भुगतान कर चहेते ठेकेदारों को लाभ दिया। इससे प्राधिकरण को 9.56 करोड़ रुपए नुकसान हुआ।
सीजी सिटी की मिट्टी भराई में लोडिंग दर 28, अनलोडिंग दर 14 रुपए तय थी। 42 रुपए प्रति घन मीटर से भुगतान होना था, लेकिन तत्कालीन अफसर, इंजीनियरों ने मनमाने ढंग से कुल चार करोड़ 05 लाख 30 हजार 729 रुपए अधिक भुगतान कर दिया।
इण्टरलाकिंग टाइल्स लगाने में भी घपला किया गया। टाइल्स की दर 734 रुपए प्रतिवर्गमीटर तय थी। मगर तत्कालीन अधिकारियों ने 926 रुपए प्रतिवर्गमीटर दर से भुगतान कर दिया गया। जिससे प्राधिकरण को 41.64 लाख रुपए का नुकसान हुआ।
एलडीए अधिकारियों, इंजीनियरों ने ठेकेदारों को लाभ देने के लिए पत्थर, बालू पर लगने वाले रायल्टी नहीं काटी। इससे एलडीए को दो करोड़ 24 लाख 58 हजार 269 रुपए का नुकसान हुआ। कर्व स्टोन में कम कटौती से 10.98 लाख रुपए अतिरिक्त नुकसान हुआ। दोहरा सेंटेज चार्ज भारित करने से 10.36 लाख का नुकसान हुआ।
जांच में स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग को भारी अनियमितता मिली है। लेखा परीक्षा विभाग को जांच के लिए सभी फाइलें तक नहीं मिल पायीं। विभाग ने तमाम अन्य अनियमितताओं का उल्लेख किया है। ऐसे में माना जा रहा है कि दोषी अफसर-इंजीनियर और कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई हो सकती है।
शासन ने सीजी सिटी की स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग से जांच कराई। विभाग के निदेशक ने पिछले महीने जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी थी। शासन ने एलडीए को रिपोर्ट भेजी है। आज ही ये एलडीए को मिली। मामले में प्राधिकरण अधिकारियों से जांच के बिन्दुओं के बारे में आख्या मांगी गयी है।
दीपक सिंह, वित्त नियंत्रक, एलडीए